मनोरंजन

देश की पीठ में खंजर – डॉ सत्यवान सौरभ

गद्दारों की बिसात बिछी, देश की मिट्टी रोती है,

सीमा के प्रहरी चीख उठे, जब अंदर से चोट होती है।

ननकाना की राहों में छुपा, विश्वास का बेईमान,

पैसों की खातिर बेच दिया, अपना पावन हिंदुस्तान।

मंदिर-मस्जिद की आड़ में, देशद्रोह का बीज पनपता,

सोने की चिड़िया का कंठ घुटा, जब अंदर से लहू बहता।

 

ज्योति ने छल की ज्वाला जलाई, यूट्यूब पर बिछाई चाल,

देवेंद्र ने पगड़ी की ओट में, गुप्तचरी का फैलाया जाल।

जमशेद ने सरकारी कागज़ों से, दुश्मनों को दिया अमृतपान,

नोमान ने नफरत की बंसी से, फूंका भारत का अभिमान।

पैसों के लिए बेच दिया ईमान, पतन की ऐसी कथा लिखी,

अपने ही घर में आग लगाई, मां भारती की छाती चीर दी।

 

गद्दारों की बस्ती उजाड़ो, चुप्पी की दीवार तोड़ो,

देश की माटी में सच्चाई का दीप जलाओ, अंधकार छोड़ो।

सजग रहो, सतर्क रहो, विश्वासघात न दोहरा पाएं,

मातृभूमि की रक्षा का संकल्प फिर से दुहराएं।

आओ मिलकर करें प्रतिज्ञा, न झुकेंगे, न टूटेंगे,

गद्दारों को माफ न करेंगे, हर कदम पर देश के साथ खड़े रहेंगे।

– डॉ. सत्यवान सौरभ, 333, परी वाटिका,  कौशल्या भवन,

बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045, मोबाइल :9466526148,

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