मनोरंजन
ग़ज़ल – रीता गुलाटी

सुनो ये चाँद सा चेहरा दिखा देते तो अच्छा था,
बुने जो ख्याब है दिल मे, बता देते तो अच्छा था।
न माने आज दिल की वो,खता क्या अब हुई मुझसे,
हुएँ मुझसे गुनां गर तो,सजा देते तो अच्छा था।
करे मेहनत सदा दिल से,नही सोचा कभी अपना,
मिले मेहनत का कुछ अच्छा,दुआ देते तो अच्छा था।
गुजारी है उम्र मैने,लगे वो कैदखाने सी,
मिलेगी कब रिहाई भी बता देते तो अच्छा था।
भूला कर आज यादों से,कभी दिल से नही भूली,
दिया है दर्द जो तूने भुला देते तो अच्छा था।
अगर थी कोई मजबूरी बता देते तो अच्छा था,
मेरे इस प्यार का यारा सिला देते तो अच्छा था।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़