मनोरंजन
ग़ज़ल – रीता गुलाटी

खिला खिला है च़मन आज मुस्कुराएंगे,
करार हमको मिले जिंदगी बिताएंगे।
ज़मीर बेच दिया जिंदगी रहेगी क्या?
ज़मीर बेच के जीते तो हार जायेगे।
किया है प्यार भी तुमसे करीब आने को,
मगर जकात खुशी की तुम्ही से पाएंगे।
भले लिये है तुम्हारे वो जख्म चुप रह कर,
सहे इसीलिए दुनिया नयी बसाएंगे।
हुआ गुनाह भी क्या यार तुम जरा कह दो,
हसीन ख्याब तुम्हारे न भूल पाएंगे।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़