मनोरंजन
ग़ज़ल – रीता गुलाटी

रहे बरसो अजी इंतजार हो,ऐसा नही होता,
हमेशा एक ही से प्यार हो,ऐसा नही होता।
स्वार्थ मे सभी डूबे, कहाँ सोचे भलाई भी,
वो सोचेगे भला आसार हो ऐसा,नही होता।
गरीबी से वो जूझे हैं,नही मिलता कोई धन्धा,
सभी खुशहाल हैं आधार हो,ऐसा नही होता।
प्रवासी वो बने देखो,कहाँ अब साथ अपनो का,
गुजारे वक्त वो परिवार मे,ऐसा नही होता।
जिये तन्हा वो आकर भी,नही समझे कोई उनको,
उन्हे मिलता कोई अधिकार हो,ऐसा नही होता।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़