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जयतु मातु अम्बे – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

माता को प्रणाम करें चरणों में शीश धरें,
उनके आशीष हेतु ध्यान नित किया करें।
हृदय को रखें पवित्र नहीं कर्म हों विचित्र,
मन में बुराई हो तो आप तज दिया करें।
विषयों का प्रभाव हो समय का अभाव हो,
अंबे का नाम सुबह शाम बस लिया करें।
हृदय में विकार हो कड़वा व्यवहार हो,
आत्मशुद्धि करने को भक्ति रस पिया करें।
ॐ नमः शिवाय –
जब कभी नव लक्ष्य चुनिए बुद्धि से तब काम लें,
पूर्ति निज उद्देश्य को शिव शंभु का भी नाम लें।
आस सँग विश्वास करते कर्म को निष्फल नहीं,
कार्य हो जाये सफल तब आप कुछ विश्राम लें।
– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश