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जिसकी जैसी सोच – राजेश कुमार झा

**जिसकी जैसी सोच उसने वैसा समझा मुझे।**

**हम तो फूल थे लोगों ने काटा समझा मुझे**

**किसी की सोच को में बदल तो नहीं सकता**

**मेरा क्या दोष जो लोगों ने गलत समझा मुझे*

**बस उनके सामने जी हा जी है करो तो ठीक है **

**यू तो में बहुत स्पष्ट वादी हूं में  जो बोलता हूं मुंह पर बोलता हूं**

**मेरी बात पल भर के लिए बुरी जरूर लगती होगी**

**पर किसी के प्रति मुंह में जहर नहीं रखता हूं**

**किसी से क्या गिला शिकवा करूं यारो**

**वह मेरे अपने ही थे जिन्होंने गलत समझा मुझे**

**मैं वक्त के हाथों का मारा हुआ वो वक्त हु*

**जहां जहां दूर दूर तक कोई छांव नहीं बस धूप ही धूप है**

**मैं क्यों किसी से गिला शिकवा करूं सब मेरे अपने हैं**

**मैं तो लोगो के द्वारा कुचली गई राह  कि वो धूल हु**

**मैं चतुर चलाकि और होशियारी  से रहता  बहुत दूर है**

**बस इंसानियत और मानवता के रहता करीब हु**

**मेरा व्यवहार और मेरी विनम्रता बस मेरी पहचान है*

**मुझे लाचार बेबस समझकर सबने ही उकसाया मुझे**

**में तो सबको अपना कहता रहा पर किसी ने मुझे अपना न समझा मुझे**

**जिसकी जैसी सोच उसने वैसा समझ मुझे*

– राजेश कुमार झा,बीना , मध्य प्रदेश

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