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दिल लगाने दो – अनिरुद्ध कुमार

लगें नाराज हर कोई जरा चल के मनाने दो,
जमाना प्यारका भूखा सभीको दिल लगाने दो।
जहाँ में आदमी को आदमी से क्यों परेशानी,
गजब यह जिंदगी यारों सबों को हक जताने दो।
खुशी छाये फिजा गाये कली भी फूल बन जाये,
नहीं चाहत घटाओं की सदा मौसम सुहाने दो।
कली भी दर्द से बोझिल हवाओं में नहीं सरगम,
भ्रमर को गीत गाने दो तमाशा भी दिखानें दो।
खुदाई प्यार का कायल जमी पे रंग छाये’अनि’,
यही तस्वीर मन भाये खुशी से दिल लगाने दो।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड