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दृढ़ संकल्प लेने का समय – शिवशरण त्रिपाठी

Utkarshexpress.com – पहलगाम में जिस तरह पाक समर्थित एवं पोषित तथा देश के गद्दारों द्वारा सहायतित आतंकवादियों ने 26 लोगों की नृशंस हत्या कर दी, वह न केवल दिल दहला देने वाली घटना है वरन् यह घटना एक बार पुन: हमें यह सोचने को मजबूर करने वाली है कि आखिर निर्दोष लोग कब तक आतंकियों की बलि चढ़ते रहेगें?
इस सामूहिक नृशंस हत्याकांड़ के विरोध में केवल कैंडल मार्च निकालकर रोष जताने, सभायें करने, जुलूस निकालकर आतंकियों को सबक सिखाने और आतंकियों को समर्थन देने वाले पाकिस्तान को नेस्तनाबूत करने की बयानबाजी से कुछ नहीं होने वाला है। इसके पूर्व जब मुंबई का 26-11 काण्ड, पुलवामा काण्ड अथवा संसद पर आतंकी हमले हुये तब भी हम ऐसे ही विरोध जता चुके हैं,अनेक बार ऐसे ही पाकिस्तान को सबक सिखाने की मंशा भी जता चुके है पर क्या हुआ?
पाकिस्तान अपने समर्थित, पोषित आतंकियों के द्वारा बार-बार देश के निर्दोष नागरिकों की हत्यायें कराता रहा है। देश की संप्रभुता को खुली चुनौती देता रहा है तो इसके लिये जितनी जिम्मेदार हमारी सरकारें रही है उससे कहीं अधिक जिम्मेदार देश के ही वे गद्दार लोग रहे हैं जिन्होने न केवल मुस्लिम आंक्राताओं, अंग्रेज लुटेरो का साथ देकर देश को वर्षो तक गुलाम बनाये रखने का जघन्य अपराध किया।
यदि इस्लाम के नाम पर बर्बर मुस्लिम आंक्राताओं ने लाखों लाख हिन्दुओं का कत्लेआम किया, हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों को लूटा खसोटा और ध्वंस कर उनका अस्तित्व मिटाने का दुस्साहस किया तो इसके लिये देश के गद्दार लोग ही जिम्मेदार रहे हैं।
यदि मुस्लिम आंक्राताओं के बाद अंग्रेजों ने देश को लूटा खसोटा, लाखों हिन्दूओं को ईसाई बनाया और आजादी के दीवानों की नृशंस हत्यायें की तो इसके लिये भी हमारे देश के ही गद्दार जिम्मेदार रहे हैं।
इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि आजादी के बाद भी देश गद्दारों से मुक्त न हो सका। वर्तमान में गद्दार केवल वे मुस्लिम ही नहीं है जो खाते भारत की है गाते पाकिस्तान की बल्कि वे राजनीतिक दल भी हैं जिनके प्रमुख मुस्लिम वोटों के लिये बार-बार पाकिस्तान की तरफदारी करते नजर आते हैं।
सबको पता है कि देश को लहूलुहान करने वाले याकूब मेनन, कसाब जैसे आतंकियों की पैरवी करने वाले प्रशांत भूषण, आनन्द ग्रोवर आदि देश के ही वकील थे बाहर के नहीं। क्या वे गद्दार नहीं है जो सरेआम नारे लगाते हैं ‘लड़कर लिया पाकिस्तान हंसकर लेगें हिन्दुस्तान’?
क्या वे गद्दार नहीं है जो आये दिन रक्षा मंत्रालय, रक्षा कारखानों अथवा अन्य संवेदनशील स्थलों की जासूसी करते पकड़े जाते हैं?
अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर जिस तरह खुलेआम सोशल मीडिया पर देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है क्या ऐसा करने वाले गद्दार नहीं है?
ऐसी स्थिति में हर देशवासी को दृढ़ संकल्प लेना होगा कि वह ऐसे गद्दारों का सामाजिक बहिष्कार करें। ऐसे राजनीतिक दलों को किसी कीमत पर वोट न दें जो राष्ट्रहित की बजाय स्वहित के लिये गद्दारों का साथ देते है और उन्हे बढ़ावा देते हैं।
हर हिन्दू को सनातन धर्म के लिये वैसे ही मर मिटने का संकल्प लेना होगा जैसे भारतीय मुसलमान इस्लाम के नाम पर मरने मिटने का जज्बा रखते हैं। याद रखे हमारे कितने हिन्दू पूर्वजों ने धर्म की रक्षा के लिये प्राणों की आहूति दे दी किन्तु इस्लाम नहीं कबूल किया। सिख गुरूओं की कुर्बानी से सबक लेना होगा जिन्होने सनातन धर्म की रक्षा के लिये दिल दहला देने वाली यातनायें सही हैं।
उन ईसाई धर्मावलम्बियों से सर्तक रहे जो ईसाई बनने के बाद भी अपने नाम हिन्दू ही रखेे हुये हैं। देश में धर्म परिवर्तन कराने में ऐसे दोगले ईसाईयों की भूमिका बेहद घातक रही है।
हर हिन्दू को ध्यान रखना चाहिये कि राष्ट्र को धर्म निरपेक्ष बनाने का खेल कांग्रेस की इन्दिरा गांधी सरकार ने खेला था जिसका सीधा मतलब सनातन धर्म को हतोत्साहित करना भी था। याद रखे ‘धर्मोरक्षित रक्ष:’ यानी धर्म की रक्षा करने वालों की ही धर्म रक्षा करता है।(विभूति फीचर्स)

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