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पाकिस्तान के लिए अन्तिम मुनादी – शिव शरण त्रिपाठी

 Utkarshexpress.com – हे! पाकिस्तान, सावधान। हे! पाकिस्तान संभल जा। हे! पाकिस्तान ढर्रे पर आ जा वरना तेरे भविष्य का खुदा ही मालिक है। तेरा क्या होगा इसकी पटकथा मोदी सरकार के नेतृत्व में भारतीय सेना ने महज  तीन दिनी चुनिंदा हमले में ही लिख दी है और बजरिये संघर्ष विराम मोदी सरकार ने तुम्हारे विनाश की अन्तिम मुनादी कर दी है।

हे! पाकिस्तान ये संघर्ष विराम तुझे रातदिन याद दिलाता रहेगा कि शर्तो का उल्लघंन हुआ तो तुझे कोई बचाने वाला नहीं मिलेगा।

यदि तुर्की, अजरबैजान और चीन के भरोसे तू भारत से निपट लेने के सपने भी बुनेगा तो सोते में वे सपने भी तुम्हे ही डरायेगें और तेरे भविष्य का सच भी दिखायेगें कि तीन दिनी हमले में ही तुझे दिये, तुर्किये और चीन के हथियार किस तरह फुस्स हो गये और तो और अमेरिका के हथियार भी भारतीय सेना के सामने पानी मांग गये।

तू याद रख आज तक हर युद्ध में तू मुंह की खाता रहा है। वैसे तो तुमने चार युद्ध लड़े है लेकिन विशेषकर 1965 और 1971 के युद्ध के परिणामों से तूने सबक सीखा होता तो शायद ही भारत से कभी भिड़ने की सोचता।

सन् 1965 के युद्ध में यदि संयुक्त राष्ट्र संघ ने हस्तक्षेप कर युद्ध न रूकवाया होता तो तेरा विनाश तभी हो गया था। तुझे याद दिला दूं कि किस तरह भारत के वीर सैनिकों ने अपने कमतर टैेकों आदि अन्य हथियारों से अमेरिकी पैटन टैंकों के जखीरे को ही नष्ट कर दिया था। इस युद्ध में पाकिस्तान के 97  टैंक मिट्टी में मिला दिये गये थे और 72 टैंक भारतीय सेना ने पकड़ लिये थे।

तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में उनके नारे ‘जय जवान जय किसान’ की ही ताकत थी कि दुष्ट सैन्य राष्ट्रपति अयूब खान की पैंट ढीली हो गई थी। जब उसने देखा कि भारतीय सेनायें लाहौर तक पहुंच गई हैं वो कुछ आगे बढ़ा तो भारतीय सेना कुछ भी कर सकती है। और भागकर अय्यूब खान रूस की शरण में जा पहुंचा और उसके गिड़गिडाने के बाद ही ताशकंद समझौता शुरू हुआ। इसी समझौते के तत्काल बाद देश के लाड़ले लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत हो गई थी जिसका रहस्य आज तक नहीं खुल सका है।

यदि इस युद्ध से पाक हुक्मरानों ने सबक सीखा होता तो सन् 1971 में वो भारत से युद्ध छेड़ने की हिमाकत न करता।

काश! उसके तत्कालीन सेनापति व सैनिक राष्ट्रपति याहिया खान ने एक बार भी 1965 के युद्ध के परिणाम की याद कर ली होती। काश! वो चंड़ीगढ़ और अम्बाला छावनी में भारत के सैनिकों द्वारा ध्वस्त व पकड़े गये पैटन टैकों की याद कर लेता जो भारतीयों के लिये सैल्फी प्वाइंट बने हुये हैं तो पाकि%

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