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बाबा तेरा ख़्वाब – डॉ.सत्यवान सौरभ

 

फूल चढ़े हर मोड़ पर, भाषण की झंकार।

बाबा तेरे नाम पर, सत्ता करे सवार॥

 

मंच सजे, माला पड़े, भक्तों का है ढेर।

पुस्तक तेरी धूल में, चुप है हर इक शेर॥

 

जात न जाए देश से, मिले कहाँ अब न्याय।

सत्ता तेरे नाम पर, लिखती रोज़ अध्याय॥

 

तेरा जीवन क्रांति था, तेरा धर्म विद्रोह।

आज उसी के नाम पर, सत्ता पाले मोह॥

 

बोले तूने शब्द जो, वह समता का संदेश।

अनुयायी तेरे यहाँ, भूले वह उपदेश॥

 

मिला है संविधान तो, मिला नहीं स्वराज।

मगर दलित की आँख में, आँसू है फिर आज॥

 

हिस्सेदारी, जाति-गण, ये थे तेरे मूल।

मुद्दे आज वह सब बनें, राजनीति के चूल॥

 

लहराए झंडा सभी, लेकिन बोली मौन।

सत्ता तेरे नाम पे, फिर भी तेरे कौन॥

 

फ्री राशन से न्याय ना, भीख नहीं सम्मान।

बाबा तेरा ख़्वाब था, देना पूरा स्थान॥

 

मूर्ति नहीं, विचार हो, सड़क नहीं अधिकार।

श्रद्धांजलि तब सत्य हो, न्याय बने व्यवहार॥

 

यदि सच में पूजना है, बाबा का आकार।

जीवन में उतारिए, उनके सत्य विचार॥

– डॉ.सत्यवान सौरभ  ” कौशल्या भवन बड़वा

(सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045

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