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मौत ने पूछा, क्या है धर्म – सुनील गुप्ता

( 1 ) मौत ने पूछा
क्या है धर्म,
और गोली मार दी उन्हें !
अरे ओ विधर्मियों…..,
क्या यही है तुम्हारी, तक़रीरें !!
( 2 ) तुम जैसा
होगा न कायर,
स्वयं से भागने वाला डरपोक !
जाओ, छिप जाओ कहीं दूर भागके…,
आ रही है पीछे तुम्हारे, ख़ौफ़नाक मौत !!
( 3 ) तुम्हारा धर्म
मौत है देना,
तो कर्म भी होंगे वैसे ही !
जाओ, तुमपे भेजते हैं हम लानत…,
होगा वही हाल तुम्हारा अतिशीघ्र ही !!
( 4 ) अरे ओ
नकाब पहने बेशर्मियों,
चले आते हो चुपचाप कहीं भी !
जाकर कह देना अपने आक़ाओं से…,
घर में घुसकर मारेंगे हम तुम्हें भी !!
( 5 ) बचा न
पाओगे स्वयं को,
भोगनी होगी तुम्हें अपनी करनी !
जो देश धर्म ‘पाक’, न हो सका कभी…,
अब करेगी मृत्यु उसका वरण जल्दी ही !!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान