मनोरंजन

ये भारत की भूमि है -आर.सूर्य कुमारी

 

भारत भूमि के —

पग – पग पर —

सदा बसा रहता —

धर्म का सार है ।

जन – जन के हृद – हृदय में —

उठता रहता सदा —

देश – भक्ति का —

उन्नत ज्वार है ।

 

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जाग उठा भारत —

का कोना-कोना ,

बजते गलियों में —

वीणा के तार हैं ।

श्री राम चन्द्र की —

कृपा है लोगों ,

हर दिशा में छिड़ गया —

एकता का मधुर सितार है ।

 

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सांगा – महाराणा की —

पावन भूमि पर —

गूंज रही मानवता की —

ऊंची पुकार है ।

शिवाजी – गुरु गोविंद की —

जिह्वा पर आज —

भारत रक्षा हेतु —

गूंजती तेज हुंकार है ।

 

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लक्ष्मीबाई – दुर्गावती —

के खड़ग पर —

जाग उठाने का —

झंकृत करता झंकार है ।

धर्महीनों के क्षुद्र —

निम्न कारनामों पर —

शक्ति – महाशक्ति का —

जोरदार प्रहार है ।

 

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कायरता पसरती —

जिसके मन में है ,

वह भलों – निर्दोषों पर —

करता जघन्य वार है ।

निकल पड़ा धर्मियों का —

एक बड़ा बेड़ा आज —

हनुमान जी की आई —

चारों ओर बहार है।

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सज्जन की गलियों में —

गूंजता है आज —

सर्व धर्म समभाव का —

मीठा – मीठा राग है ।

महाब्रह्मांड के —

ओर छोर तक —

वसुधैव कुटुंबकम् का —

प्यारा सा अंदाज है ।

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यह देश है मस्तानों का ,

मस्तानों का बलिदानों का ,

इस देश के आगे क्या कहना ,

यह देश है दुनिया का गहना ।

– आर .सूर्य कुमारी -विनायक फीचर्स)

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