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विश्व विख्यात शरद सिंह राठौर – जया भराड़े बड़ोदकर 

 

utkarshexpress.com – शरद आज सुबह से ही बहुत बिजी हो गया था, उसे छुट्टियों में दादा दादी के गांव में जाने की तैयारी करने लगा था। वो वक्त भी आ गया उसने अपना बैग लिया और डैडी के साथ गाड़ी में बैठ गया। बड़े ही जोश में नजर आ रहा था। दो घंटे में वो गांव के घर में पहुंच चुका था। वहां जाकर पता चला कि वहां बहुत ऊंची पहाड़ी पर देवी मां का मंदिर है। बस फिर क्या था। दूसरे दिन ही पहाड़ी पर पहुंच गया। एक घंटे में पहुंच गया था। और भी लोग पहाड़ी पर चढ़ते हुए दोस्तों की तरह हिल मिल गए। ख़ुप खुशी जो हो रही थी। फोटो भी खुप खींचे। अब उसे पानी की प्यास लगी थी। चढ़ते समय पानी खत्म हो चुका था। कुछ भी न मिला फ़िर उतरते हुएं एक घंटा और लग गया। बारिश हो ने लगी थी। मगर शरद को बुखार और उल्टी आ ने लगी थी। घर आते ही डॉक्टर के पास ले जाया गया और उसे एडमिट कर दिया गया। तीन दिन तक सलाइन पर दवाइयां दी गई। अब जोश ठंडा हो चुका था। पर उसी समय उसके साथ के पहाड़ी वाले दोस्तों ने उसे बताया कि हम सभी दो दिन बाद फिर से एक और चढ़ाई करने जाने वाले हैं तो वो एक दम बहुत खुश हो गया। फिर से जोश भर गया। उसके डैडी दादा दादी ने सभी लोगों ने मिलकर उसे बहुत समझाने की कोशिश की। मगर शरद ने ठान लिया था कि  वो अब पूरी तैयारी के साथ दुनिया में सभी प्रसिद्ध जगह की चढ़ाई करता रहेगा। उसने हार नही मानी।  इस तरह बड़ा होकर वो एक दिन हिमालय की चोटी पर पहुंच गया। और वह विश्व विख्यात शरद सिंह राठौर बन गया। आज वह पूरी दुनिया का लाडला बन चुका था। जिसने भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया था।

– जया भराड़े बड़ोदकर, टाटा सीरी न०-1, टावर 1 A, ठाणे, मुंबई, महाराष्ट्र

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