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श्रम का महत्व – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 

श्रम की कीमत क्या होती है, इसको लें हम सब पहचान।

मेहनतकश मजदूर श्रमिक का, मिलकर रखें सदा हम ध्यान।

 

चींटी भी श्रम करती दिनभर,

दाना-दाना चुनती है।

बिना रुके वह ध्यान लगाकर,

अन्न इकट्ठा करती है।

आस नहीं रखती इनाम की, और नहीं करती अभिमान।

श्रम की कीमत क्या होती है, इसको लें हम सब पहचान।1

 

बड़े जतन से तिनका जोड़े,

चिड़िया नीड़ बनाती है।

अंडे जब दे देती उसमें,

कहीं नहीं फिर जाती है।

मजबूरी में उड़कर कर जाती, लाती खाने का सामान।

श्रम की कीमत क्या होती है, इसको लें हम सब पहचान।2

 

पेट पालने खातिर मानव,

तरह-तरह श्रम करता है।

बच्चों का जीवन हो अच्छा,

इसीलिए वह खटता है।

पढ़लिख कर सारे सुख पायें, तथा बनें अच्छे इंसान।

श्रम की कीमत क्या होती है, इसको लें हम सब पहचान।3

 

कृषक अन्न उपजाने खातिर,

हर मौसम में जुट जाता।

खेत जोत सँग बीज डालकर,

कितना कुछ वह उपजाता।

उसका मन प्रसन्न होता जब, फसलों से भरता खलिहान।

श्रम की कीमत क्या होती है, इसको लें हम सब पहचान।4

 

छोटे-बड़े कारखानों में,

श्रमिक काम दिन-रात करें।

नये-नये उत्पाद बनाते, सभी  देश हित बात करें।

मई दिवस जब भी आता है, श्रमवानों का हो सम्मान।

श्रम की कीमत क्या होती है, इसको लें हम सब पहचान।4

 

श्रम की कीमत क्या होती है, इसको हम सब लें पहचान।

मेहनतकश मजदूर श्रमिक का,

मिलकर रखें सदा हम ध्यान।

– कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश

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