समय दीजिए – सुनील गुप्ता

दीजिए –
समय परिवार को,
अपने बूढ़े होते, वृद्ध माता पिता को !!1!!
पाइए –
मान-सम्मान इनका,
फिर बनाइए संस्कारवान, अपने बच्चों को !!2!!
कीजिए –
मान-मनौवल इनका,
हँसते हुए, बहलाइए दिल सबका !!3!!
लीजिए –
सदैव आशीर्वाद आशीषेँ,
सुख सौभाग्य, प्राप्त कीजिए जीवन में !!4!!
मिलिए-
बनकर छोटे बच्चे,
अनुभूतियों से उठाएं, लाभ जीवन में !!5!!
एक दिन, तुम्हारी मां तुम्हें फोन नहीं करेंगी।
एक दिन, तुम चाहोगे कि तुम उनके साथ और समय बिता सको लेकिन वह समय जा चुका होगा।
एक दिन, वह तुम्हें हंसने से मना नहीं करेंगी।
एक दिन, वह तुम्हें दी जाने वाली सलाह देना बंद कर देंगी, जो वह तुम्हारे लिए सबसे सही समझती थीं।
एक दिन, वह घर, जहाँ वह हमेशा तुम्हारा इंतजार करती थी, खाली खाली लगने लगेगा।
एक दिन, उनकी आवाज़ चुप्प हो जाएगी।
एक दिन, सिर्फ यादें ही बची रहेंगी।
समय उड़ता है — यह किसी का इंतजार नहीं करता।
और उस दिन, तुम एक ऐसा शून्य महसूस करोगे जिसे और कोई कभी भर नहीं सकता।
माँ पिता
परिवार और अपने बूढ़े होते माता पिता को समय दीजिए,
जीवन में इनसे बढ़कर कुछ भी नही |
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान