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हादसा जब कोई मुकद्दर हो – चारु सक्सेना

utkarshexpress.com – डॉ. फौज़िया नसीम शाद की शायरी में गहरी संवेदनाएँ, जीवन के अनुभव और भावनाओं की सशक्त अभिव्यक्ति मिलती है। उनके अशआर में प्रेम दर्द, आत्मबोध और सामाजिक सच्चाइयाँ बखूबी उभरती हैं। यहाँ कुछ चुनिंदा अशआर प्रस्तुत हैं जो उनकी लेखनी की विशेषता को दर्शाते हैं।
डॉ. फौज़िया नसीम शाद की शायरी में जीवन के विभिन्न पहलुओं की गहरी समझ और संवेदनशीलता झलकती है। उनके कुछ बेहतरीन अशआर इस प्रकार हैं:
ज़िंदगी और एहसास –
दर्द-ए-एहसास ही पता देगा,
ज़िंदगी के करीब कितने हैं।
यह शेर जीवन के संघर्षों और एहसासों की गहराई को व्यक्त करता है।
गरीबी और संघर्ष –
जानता है वही जो इसको ढोता है,
कितना भारी गरीबी का बोझ होता है।
गरीबी की कठिनाइयों और उसके प्रभाव को बयां करते यह अशआर समाज की वास्तविकता को उजागर करते है।
ख़्वाबों और उम्मीदों की टूटन –
नफ़रतों को कुछ ऐसा मोड़ दिया,
सिलसिला ख़्वाब का भी तोड़ दिया।
यह शेर रिश्तों में आई दूरियों और टूटे हुए ख़्वाबों की कहानी कहता है।
ख़ुद की पहचान –
किसी के मेयार पर उतरना ही काफी नहीं,
ख़ुद की नज़रों में भी हो क़ीमत आपकी।
यह अशआर आत्म सम्मान और आत्म मूल्य की अहमियत को दर्शाता है।
ज़िंदगी के मायने –
ज़िंदगी तुझसे इतना तो निभा ही देंगे,
अपने होने की हम ख़ुद ही गवाही देंगे।
यह शेर जीवन के संघर्षों के बावजूद आत्मविश्वास और अस्तित्व की पुष्टि करता है।
अपनी अहमियत –
तेरे दिल में है अहमियत कितनी,
तू मुझे खो के देख सकता है।
डॉ. फ़ौज़िया नसीम शाद की कविता का एक अंश है। इसका अर्थ है, यह एक सवाल है जो किसी के प्यार और महत्व को चुनौती देता है, यह जानने के लिए कि क्या खोने के बाद इसका एहसास होगा।
यादों की गहराई –
कुछ निशां फिर भी रह गये बाक़ी,
हमने लिख कर तुम्हें मिटाया है।
इस रचना में डॉ. शाद ने जीवन के अनुभवों और यादों की गहराई को व्यक्त किया है ।
सामाजिक दृष्टिकोण –
जिनके नसीब में था वही मोअतबर हुए,
दौलत के दम पे लोग यहां नामवर हुए।
इस शेर में डॉ. शाद ने सामाजिक असमानताओं और संघर्षों को बयां किया है। यह ग़ज़ल उनके गहरे सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाती है।
आत्ममंथन और आत्मचिंतन –
झांकने का जो शौक़ रखते हैं,
अपने अंदर भी झांक सकते हैं।
यह शेर बहुत ही गहरी बात कहता है- बाहरी दुनिया में झांकने का शौक़ रखने वालों को अपने भीतर झांकने की हिम्मत भी रखनी चाहिए। आत्ममंथन और आत्मचिंतन की ओर यह एक खूबसूरत इशारा है।
डॉ. शाद की शायरी जीवन के विभिन्न पहलुओं को संवेदन शीलता और गहराई से प्रस्तुत करती है। उनके इन अशआरों में जीवन की सच्चाई, संघर्ष और प्रेम की पीड़ा का बहुत ही मार्मिक वर्णन देखने को मिलता है। उनका ये शेर बहुत गहरी बात कहता है –
जीवन की वास्तविकता –
आएगी जब तलक समझ में कुछ,
ज़िन्दगी मायने खो चुकी होगी।
इसमें जीवन की उस सच्चाई को उजागर किया गया है जहाँ हम समझ पाने में इतना वक़्त लगा देते हैं कि जब तक कुछ समझ आता है, तब तक जीवन अपने असली मायने खो चुका होता है। एक तरह से ये समय की नासमझी और जीवन की क्षणभंगुरता को दर्शाता है।
जीवन की क्षण भंगुरता –
इसमें किसका कुसूर ढूंढे हम,
हादसा जब कोई मुकद्दर हो।
यह शेर जीवन की अप्रत्याशित घटनाओं को स्वीकार करने की आवश्यकता को दर्शाता है। इस शेर में डॉ. शाद ने भाग्य और घटनाओं के अनियंत्रित पहलुओं पर विचार किया है:
ख़ुद पर यकीन –
मुकद्दर से फिर कभी शिकवा न कर सकोगे,
खुद पर यकीन करके कोशिश अगर करोगे।
इस शेर में डॉ. शाद ने भाग्य और आत्मविश्वास के संबंध को व्यक्त किया है। यह शेर आत्मविश्वास और प्रयास की महत्ता को उजागर करता है। (विभूति फीचर्स)

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