मनोरंजन
एहसास – ज्योति श्रीवास्तव

दूरियों के सितम से गुज़रते रहे,
अक्स आया नज़र तो संवरते रहे।
खास अहसास बन के सदा पास हो,
तो घड़ी पल भी स्पंदन से करते रहे।
रंग हर इक लिए ज़िन्दगी की तरह,
घुल के इसमें सनम आगे बढ़ते रहे।
पल जो अनमोल से गढ़ रही ज़िन्दगी,
वक्त दर वक्त अनुभव से रंगते रहे।
– ज्योति श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश