मनोरंजन
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कहा से पइबा हउवा (भोजपुरी गीत) – श्याम कुंवर भारती
लगइबा नाही पेड़ भइया कहा से पइबा हउवा । फल फूल लकड़ी मिली ना कहा से पइबा छउवाँ। …
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My trip in the train – Prakash Roy
utkarshexpress.com – When I was coming back from Khagaria district, Bihar some days ago where held a grand weding anniversary…
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ग़ज़ल – रीता गुलाटी
आज जग मे बड़ा दगा पाया, खूब रोका, नही नफा पाया। नेकियाँ बहुत की जमाने मे, सबकी आँखो…
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मेरी बेटी – रेखा मित्तल
बदलते किरदार जैसे-जैसे बड़ी हो रही हूँ सब किरदार बदल रहे हैं जिन नन्हें हाथों को पकड़ कर चलना सिखाया…
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देह की दीवारें और आत्मा की पुकार – प्रियंका सौरभ
मैं स्त्री हूँ – देह से परे, मन की मौन पुकार, नमन की ज्वाला, समर्पण का उजास, किंतु देखो,…
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मुस्कान मनुहार (लघुकथा) – इंजी.अरुण कुमार जैन
utkarshexpress.com – सर्दी की ठंडी रात्रि थी, हवा में ठिठुरन थी। ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी। भरे स्लीपर कोच में एक…
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ज़िंदगी की नक़ाबें – डॉ सत्यवान सौरभ
ऐ ज़िंदगी, तू हर रोज़ इक नया चेहरा दिखा देती है, अपनों की भीड़ में अजनबियों-सी हवा बहा देती…
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एहसास – ज्योति श्रीवास्तव
दूरियों के सितम से गुज़रते रहे, अक्स आया नज़र तो संवरते रहे। खास अहसास बन के सदा पास हो, तो…
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गीतिका — मधु शुक्ला
जब कभी गाँव छूट जाता है, व्यक्ति धन और गम कमाता है। मित्र परिवार से विलग होकर ,…
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