मनोरंजन
मैं शलभ हूँ – डॉ जे०पी० तिवारी

एक शलभ हूं मैं
तितलियों के
इन भ्रमरों के
बड़े परिवार का,
रंगीन तितलियाँ
मन बहलाती हैं
प्यार में जीना
मरना सिखाती हैं,
श्वेत तितलियाँ
पवित्रता लती हैं
कर्तव्य-बोध कराती
पथ सुदृढ़ बनाती हैं,
तब मुस्काता हूँ मैं
जब आरोप लगता है
दीप बुझाने आया है
हक़ जताने आया है
अब तुम्हीं बताओ!
उन्हें कैसे समझाऊं?
उन्हें अब क्या बताऊँ?
प्राण तक तो दे दिया
इसके आगे … अब
कौन साप्रमाण लाऊँ?
– डॉ जयप्रकाश तिवारी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश