मनोरंजन

अपेक्षा क्यों – श्याम सुंदर

 

चाह जब जुड़ जाएं

परिणाम से

अपेक्षा का…

होता है आगमन

मन की शांति का

फिर होता है गमन

 

दूसरे भी हमें

वही सम्मान दें

जो हम…

उन्हें दे रहें

दूसरे भी हमें

वही प्यार दें

जो हम…

उन्हें दे रहें

 

यह जरूरी तो नहीं

कि हो…

विचारधाराएं समान

अपनी प्राथमिकता

का तो…

है हमें भान

पर दूसरों की

प्राथमिकताओं का

भी हो हमें ज्ञान

 

जरा संभल कर

व्यवहार करना होगा

इस रंग बदलते जमाने में

जीते जी न मरना होगा

अपने आत्म सम्मान

को भी बचाना होगा

जीवन अपना

सम्मान संग

बिताना होगा

 

गीता के सिद्धांत

में भी है…

कर्म कर…

फल की चाह न कर

इसलिए समय से पहले

परिणाम आएगा कैसे

मन में सबके…

प्रेम का दीपक

जलाएगा कैसे…

 

चाह जन्म देती

चिंता को…

चिंता से बचना होगा

मानसिक संतुलन

के नियम का…

पालन करना होगा

 

कर्म कर ऐसे

कि कर्म बंधन से

मुक्त हो जैसे

दूसरों से इतनी

अपेक्षा क्यों

प्यार तूने किया है…

अपनेपन से जिसको

फिर ऐसी उपेक्षा क्यों

– श्याम सुंदर, 71/27, गली नंबर -11,

शांति नगर , मनी माजरा, चण्डीगढ़ .

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