मनोरंजन
पूर्णिका – श्याम कुंवर भारती

अब तू ही बता तुझे कैसे भुलाया जाय,
दिए तेरे ज़ख्मों को कैसे बहाया जाय।
हद होती है सारे झूठे वादों की इश्क में,
बाकी निशानो को कैसे झुठलाया जाय।
मिलूं ना तुमसे बेचैनी मिलूं तो शर्माना,
बीते दिनों को फिर से कैसे लाया जाय।
तेरे नाम से सोना जागना नशा था तेरा,
मुंह फेरने वाले कैसे नजर मिलाया जाय।
जब से गए छोड़ लौट फिर देखा नहीं कभी,
बेदर्दी फिर कैसे पास तुम्हे बुलाया जाय।
प्यार जो करे उसे दर्द देता है कोई भला,
तू है मेरी टूटे दिलों को कैसे मिलाया जाय।
सुनो आज फिर तेरी याद आई है भारती,
इश्क-ए-गुलों को फिर कैसे खिलाया जाय।
– श्याम कुंवर भारती, बोकारो, झारखंड, मॉब.9955509286